-#ثم أي؟!..
-#ثم أني يا سيدي..
كنت أوصيه ألَّا يغيب..
وأن يترك أمر الفراق للقدر..
وهو سيتكفل به جيدا..
-#ثم أي؟!..
-#ثم أنه يا سيدي والفراق..
اجتمعا عليَّ..
فلم يعد هناك ما ينعاه عليَّ الزمان..
أو أنعاه..
ها..وقد رماني بكل سهم كان في جعبته..
ولم أدر أكان الزمان أقسى؟!..
أم هو؟!..
الرقيق..
من قسَّاه؟!..
وكان يقول لي لا تخش..
وذي يدي..
صادقٌ..
هذا الولي..
هذا التقي..
فأينه الأن من وعده؟!..
ياااا سيدي..
وقد ألحقت بي يداه..
كل ما أخشاه..
إلى نبي..
بقلمي العابث..