أما بعد..
تريدين أن نفترق..
لا بأس..
قولي لوجهك إذن..
ألا يجلب شاطئ الغرق..
وقولي لصوتك..
ألا يأخذني مرة أخرى إلى متاهة السرداب..
فأنا ياسيدتي، ما زلت أخشى الوحدة..
أخاف الموج..
بقلبي ألف رهاب..
والخوف، كيف يعاب..
انتهى..
أما بعد..
تريدين أن نفترق..
لا بأس..
قولي لوجهك إذن..
ألا يجلب شاطئ الغرق..
وقولي لصوتك..
ألا يأخذني مرة أخرى إلى متاهة السرداب..
فأنا ياسيدتي، ما زلت أخشى الوحدة..
أخاف الموج..
بقلبي ألف رهاب..
والخوف، كيف يعاب..
انتهى..
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